Monday, April 4, 2011

सावधान, पिज्जा में मिला है गोमांस


 क्या आपको पता है कि पिज्जा में गोवंश मांस (बीफ) की परत होती है। पैकेट पर इस बारे में साफ लिखा भी है। हालांकि जिस पैकेट में यह खाद्य सामग्री है, उस पर उत्पाद का वेज या नानवेज होने की पुष्टि करने वाला लोगो नहीं है। केंद्र के कामर्स एंड इंडस्ट्री मंत्रालय के अधीन डायरेक्टर जनरल फॉरेन ट्रेड से सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई जानकारी में यह खुलासा हुआ है। जिले के प्रहलाद नगर निवासी सागर ने यह सूचना मांगी थी। डायरेक्टर जनरल की ओर से सभी राज्यों के मुख्य सचिव को भेजे गए पत्र में ऐसे पिज्जा की बिक्री पर प्रतिबंध लगाते हुए कार्रवाई करने का आग्रह किया गया है। इसमें पिज्जा निर्माता ही नहीं बेचने वाले के विरुद्ध भी कार्रवाई करने को कहा गया हैं। डीएम सुभाष चंद शर्मा के आदेश पर एडीएम सिटी महावीर प्रसाद आर्य ने इसके लिए छापामार दल का गठन किया है, जिसमें एसपी सिटी, नगर आयुक्त व नगर स्वास्थ्य अधिकारी को तत्काल सघन अभियान चलाकर यह पिज्जा बेचने वालों के विरुद्ध कार्रवाई करने के आदेश दिए गए हैं। वहीं कमिश्नर भुवनेश कुमार का कहना है कि ऐसे पिज्जा की बिक्री के खिलाफ न केवल मेरठ में बल्कि पूरे मंडल में अभियान चलाया जाएगा। संबंधित डीएम को इस बाबत आदेश जारी किये गये हैं|

Friday, March 25, 2011

बीमार गाय-भैंसों को चारा तो दूर पानी भी नहीं


हिसार दूध के रूप में पशु के खून का कतरा-कतरा निचोड़ कर मालामाल होने वाला राजकीय पशुधन फार्म दो आज उन्हीं पशुओं को तिल-तिल मारने पर जुटा है। इन पशुओं का कसूर बस इतना है कि यह वक्त की मार से नकारा हो चुके हैं या बीमारी के कारण फार्म को कमाई नहीं दे सकते। चलते-फिरते कंकाल बन चुके यह पशु मिनट दर मिनट मौत के करीब जा रहे हैं और कुछ दिनों बाद यह पशु भी फार्म के एक कोने में पड़े हड्डियों के ढेर में शामिल हो जाएंगे। राजकीय पशुधन फार्म सेक्टर-दो के गौ सदन का निर्माण ही केवल इसलिए किया गया था यहां बीमार व बांझ पशुओं रखा जा सके। गौ सदन के उद्देश्य के विपरीत इसे पशुओं के आरामगाह की जगह बूचड़खाने में तबदील कर दिया गया है। रिकार्ड के अनुसार यहां पर लगभग एक माह पहले बु्रसोलोसिस बीमारी से पीडि़त 60 भैंसों व कटड़ों को लाया गया था लेकिन इनकी संख्या लगभग एक सौ के करीब है, दूसरी बीमारियों से ग्रस्त लगभग 60 गाय व सांड पहले से ही यहां थे। नियमानुसार बु्रसोलोसिस बीमारी से पीडि़त पशु के साथ दूसरे किसी जानवर को रखा नहीं जा सकता, लेकिन गाय व सांडों को इनके बीच रखा गया है। इससे यह बीमारी गाय व सांडों में भी फैलने का खतरा बढ़ गया है।
नहीं मिल रहा चारा-पानी : फार्म के गौ सदन में बीमार और नाकारा घोषित पशु दयनीय स्थिति में थे। पशु चलते-फिरते कंकाल में बदल गए हैं। चारागाह में पड़े गोबर और सूखी लकडिय़ां खुद-ब-खुद पशुओं को मिलने वाले चारे की कहानी बयां कर रहे थे। सदन की चार दीवारी के अंदर कहीं भी पानी का इंतजाम नहीं था। इस गौ सदन में कराह रहे इन बेजुबानों की आवाज सुनने वाला वहां कोई नहीं था।
ब्रुसोलोसिस का कोई इलाज नहीं : डॉ. पूर्णचंद लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विवि के पशु चिकित्सक एवं बु्रसोलोसिस बीमारी विशेषज्ञ डॉ. पूर्णचंद का कहना है कि यह पशुओं की ऐसी बीमारी है जिसका कोई उपचार नहीं है। बीमारी से पीडि़त पशु का दूध किसी काम का नहीं होता और उससे पैदा होने वाले बच्चे को भी यह बीमारी लग जाती है। इसके अलावा अगर किसी स्वस्थ जानवर को इस बीमारी से पीडि़त पशु के साथ रखा जाता है तो उसे भी यह बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है।
दबाने की बजाए खुले में फेंकी जाती है हड्डियां : नियमानुसार बु्रसोलोसिस से पीडि़त पशुओं को मरने के बाद छह फुट गहरे गढ्डे में दबाया जाना चाहिए। दबाने से पहले से शव पर फिनाइल, चूना व नमक डाला जाता है। परंतु सदन में मरने वाले इन पशुओं को कुछ ही दूरी पर फेंक दिया जाता है जहां इनकी खाल तो उतार ली जाती है लेकिन हड्डियों का ढेर वहीं छोड़ दिया जाता है। इससे सेक्टर में आने वाले कुत्ते मृत पशुओं का मांस खाकर बु्रसोलोसिस बीमारी को पड़ोस के गांवों तक ले जाते हैं।
नेचुरल डेथ के लिए छोड़े हैं पशु : पशुधन फार्म के अधीक्षक डॉ. ईश्वर सिंह जाले का कहना है कि इन पशुओं में लगी बीमारियों का कोई इलाज नहीं है। इसलिए नेचुरल डेथ के लिए इन्हें गौ सदन में रखा गया है। नियमानुसार इन पशुओं को चारा दिया जाता है।


Monday, February 7, 2011

घरों में गाय पालेंगे तो बचेगा गोवंश


भारतीय गोवंश रक्षण संवर्धन परिषद, राजस्थान न्यास की ओर से रविवार को भारत गोशाला एवं गोरक्षा प्रतिनिधि सम्मेलन आयोजित किया गया। इसमें आम लोगों से घरों में गाय पालने का आह्वान किया गया। साथ कहा गया कि सिर्फ गोशाला की बात कहने से गाय का संरक्षण नहीं हो पाएगा। बैठक की अध्यक्षता विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और गोरक्षा प्रभारी हुकमचंद सांवला ने की। इस दौरान मुख्यमंत्री को दिए जाने वाले ज्ञापन पर भी चर्चा की गई।

बैठक में परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष जय बहादुरसिंह शेखावत ने कहा कि जयपुर में जिस तरह गायों को निर्ममतापूर्वक शहर से बाहर निकाला जा रहा है, वह निंदनीय है। लोगों ने गोवंश को घसीट-घसीट कर पिंजरों में डाला। इसकी जितनी निंदा की जाए, कम है। कार्यक्रम में परिषद के केंद्रीय सचिव हरिहर पारीक ने कहा कि गाय रक्षण के लिए हर व्यक्ति, खासकर किसानों को गाय पालनी चाहिए। उन्होंने विदेशी नस्ल की गायों के स्थान पर देसी गायों को पालने और उनके संरक्षण पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि गाय पालने के साथ इसके आर्थिक पक्ष को भी ध्यान में रखना होगा। इसके लिए लाभ की स्थिति में चल रहे दुर्गापुरा गोसेवा संघ का भी उल्लेख किया। इस बैठक को हुकमचंद सावंला, हरिशंकर और अन्य वक्ताओं ने भी संबोधित किया।

मुख्यमंत्री को दिए जाने वाले ज्ञापन में देसी नस्ल की गायों के संरक्षण के लिए अनुसंंधान केंद्र शुरू जाने की मांग है। साथ ही पूर्वी जिलों भरतपुर, करौली, अलवर और धौलपुर से हो रही गो निकासी को रोकने की मांग की गई है। ज्ञापन में गोचर भूमि पर हो रहे अतिक्रमण को रोकने के लिए भी सरकार से गुहार की गई..

Sunday, January 30, 2011

हजारों लावारिस गोवंश को छत देंगे बादल


पंजाब में गोवंश की बेकद्री कम हो, इसके लिए गौभक्तों को शासन प्रशासन की कृपा की दरकार है। हालांकि, गौरक्षा बोर्ड नाभा में प्रदेश की सबसे बड़ी गौशाला बनाने की योजना तो बना चुका है, लेकिन निर्माण से पहले वह जमीन को अवैध कब्जों से मुक्त कराने की जद्दोजहद में जुटा है। पंजाब में इस समय लगभग बीस हजार गायें-बछड़े लावारिस हैं, अगर यह योजना सिरे चढ़ जाती है तो इनमें से ज्यादातर गौवंश को छत नसीब हो सकती है। राज्य की प्रकाश सिंह बादल सरकार द्वारा गठित गौरक्षा बोर्ड नाभा के निकट गौ चरांद (महाराजा नाभा द्वारा गायों के लिए छोड़ी जगह) वाली दो सौ एकड़ पर प्रदेश स्तरीय गौशाला बनाने जा रहा है। बोर्ड ने सरकार से उक्त जगह हासिल करने की मंजूरी ले ली है। सरकार ने दो सौ में से करीब 40 एकड़ पर हुए कब्जे छुड़ाने के लिए डीसी को पत्र भी लिखा है। फाजिल्का के गांव बोदीवाला पीथा में प्रदेश स्तरीय गौशाला के लिए गौ रक्षा बोर्ड इन दिनों जनमत जुटा रहा है। फाजिल्का आए बोर्ड के वाइस चेयरमैन देवी दयाल पराशर ने बताया कि गौवंश के भोजन के लिए सरकार से फंड की मांग की गई है। वैसे चारा गौशाला की जमीन पर भी पैदा किया जाएगा। उन्होंने बताया कि देश की सबसे बड़ी गौशाला राजस्थान में बीकानेर के निकट सिंहथल धौरा में है, जहां करीब पांच लाख गायें हैं। उस गौशाला का संचालन साधू संत करते हैं। लेकिन किसी प्रदेश सरकार द्वारा गठित बोर्ड द्वारा बनाई जाने वाली बड़ी गौशाला पंजाब के नाभा में बनाई जा रही गौशाला ही होगी। वर्तमान में पूरे पंजाब में तीन सौ छोटी बड़ी रजिस्टर्ड गौशालाएं हैं। उनमें करीब ढाई लाख गायें पल रही हैं। पराशर ने बताया हालांकि प्रदेश स्तर पर बनाई जा रही गौशाला में बेसहारा पशु लाने के लिए सरकार ने हर जिले के डीसी से रिपोर्ट मांगी है, लेकिन बोर्ड द्वारा करवाए सर्वे के अनुसार करीब 10 हजार गायें और बछड़ों आदि को मिलाकर करीब 20 हजार गौवंश बेसहारा घूम रहा है।